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जिन्दगी

 जिंदगी बड़ी कन्फ्यूजिंग है  तू  समझ ही नहीं आनी  परेशान हूं मैं ना समझा पाऊं तुझे  मुझे क्या है परेशानी जिंदगी नहीं समझ पाई तुझे कैसे जीऊं जिन सायों के पीछे भागती रही मैं जब पास पहुंची तो पाया वहां कुछ था ही नहीं ,वह तो बस एक साया था  वहन था मेरे मन का जब छोटी थी तो बड़ा होना था बड़ी हुई तो नौकरी पाना था घर संभालना था अपनी पहचान बनानी थी करना था कुछ अपनों के लिए अपना और उनके जीवन को बेहतर बनाना था बच्चों को कामयाब करना था उम्र कट गई यह सब करते-करते सब कर लिया अब क्या करूं मैं जिंदगी इतनी मसरूफियत के बाद अब खाली रहना अखरता है चलो अब ये नई मसरूफियत हैं  तुझको अब जानना है  पहचाना है  जिंदगी ।